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रूस के पक्ष में खड़े होकर इंडिया ने अमेरिका आदि देशों को दिया स्पष्ट संदेश

criPublished: 2022-04-01 20:05:32
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इन दिनों रूस-यूक्रेन संघर्ष पर विश्व का ध्यान केंद्रित हो रहा है। इस मुद्दे पर भारत का रूख कैसा है? चाइना मीडिया ग्रुप के वरिष्ठ संवाददाता अनिल पांडेय ने“रूस के पक्ष में खड़े होकर इंडिया ने अमेरिका आदि देशों को दिया स्पष्ट संदेश”शीर्षक लेख लिखा, जो इस प्रकार है:

जब से रूस-यूक्रेन संकट शुरू हुआ है, अमेरिका व अन्य पश्चिमी देश रूस के खिलाफ कई तरह के प्रतिबंध लगा चुके हैं। रूस पर आर्थिक पाबंदी लगाने के साथ-साथ वे विभिन्न देशों को अपने पक्ष में लाने की पुरजोर कोशिश में जुटे हैं। कहने का मतलब कि वे भारत व चीन जैसे देशों को अपनी ओर खींचकर रूस को पूरी दुनिया से अलग करना चाहते हैं। यहां हम बात करेंगे भारत की स्थिति की। क्योंकि इंडिया लगभग हर अंतर्राष्ट्रीय मुद्दे पर अमेरिका, ब्रिटेन व यूरोपीय देशों के साथ खड़ा नज़र आता है। लेकिन यूक्रेन व रूस के बीच जारी लड़ाई में मोदी सरकार बिना किसी संदेह के रूस के साथ है। अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन समेत विकसित देशों के नेता भारत से आग्रह कर चुके हैं। लेकिन भारत ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है कि वह इन देशों की बात नहीं मानने वाला है। भारत के इस रवैये से खफा होकर वे अब चेतावनी भी देने लगे हैं। उदाहरण के लिए, अमेरिका के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार दलीप सिंह ने तो यहां तक कह दिया कि जो देश रूस को किसी भी रूप में मदद देने की कोशिश करेंगे उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। लेकिन अमेरिका को यह समझना होगा कि भारत की अपनी स्वतंत्र विदेश नीति है, वह एक संप्रभु देश है। जो कि अपने राष्ट्रीय हितों को नजरअंदाज नहीं कर सकता है।

इस बीच पश्चिमी देशों की निराशा तब चरम पर पहुंच गयी, जब रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव नई दिल्ली पहुंचे। जो भारत और रूस के मजबूत संबंधों का एक बड़ा उदाहरण है।

इस बीच ब्रिटेन की विदेश मंत्री लिज़ ट्रस मोदी सरकार को मनाने इंडिया पहुंचीं, इस दौरान उन्होंने विदेश मंत्री एस. जयशंकर से भेंट की। खबरों के मुताबिक भारत ने उनसे साफ-साफ कह दिया कि वह रूस से तेल सामान्य तौर पर लेता रहेगा। इतना ही नहीं भारतीय विदेश मंत्री ने ट्रस को आईना दिखाते हुए कहा कि हमें तेल न खरीदने की नसीहत देने वाले यूरोपीय राष्ट्रों को अपने को देखना चाहिए। क्योंकि युद्ध शुरू होने के बाद यूरोप ने रूस से पहले से ज्यादा तेल खरीदा है। वहीं ट्रस ने कहा कि ब्रिटेन रूस के खिलाफ प्रतिबंधों को लेकर दृढ़ है, साथ ही इस साल के अंत तक वह रूस से तेल की निर्भरता खत्म करने के लिए सभी उपाय कर रहा है। ट्रस ने भारत को लेकर कहा कि, इंडिया एक संप्रभु राष्ट्र है, मैं भारत से यह नहीं कह सकती कि उसे क्या करना चाहिए।

जैसा कि हम जानते हैं कि रूस भारत का दशकों से पारंपरिक मित्र रहा है। पूर्व में रूस ने कई बार भारत की जरूरत के वक्त मदद भी की है। इसके साथ ही भारत रूस से बड़ी मात्रा में हथियार आदि आयात करता है। हालांकि अमेरिका के साथ भी भारत की कई मामलों में निकटता है। लेकिन इस बार मोदी सरकार ने देश के हितों को सर्वोपरि रखते हुए निर्णय लिया है।

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